आर्यभट्ट प्रथम sentence in Hindi
pronunciation: [ aareybhett perthem ]
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- और आर्यभट्ट प्रथम के मध्य भ्रमित न हो।
- भारत में दशमलव अंकों का सर्वप्रथम प्रयोग आर्यभट्ट प्रथम (४९९ ई.) द्वारा मिलता है।
- भारत में दशमलव अंकों का सर्वप्रथम प्रयोग आर्यभट्ट प्रथम (४९९ ई.) द्वारा मिलता है।
- आर्यभट्ट प्रथम · आर्यभट्ट द्वितीय · भास्कराचार्य · भास्कर प्रथम · भास्कर द्वितीय · मेल्पत्तूर
- आर्यभट्ट प्रथम · आर्यभट्ट द्वितीय · भास्कर प्रथम · भास्कर द्वितीय · मेल्पत्तूर नारायण भट्टतिरि ·
- कुट्टक की विधि में भी आर्यभट्ट प्रथम, भास्कर प्रथम तथा बह्मगुप्त की विधियों से कुछ उन्नति दिखाई पड़ती है।
- कुट्टक की विधि में भी आर्यभट्ट प्रथम, भास्कर प्रथम तथा बह्मगुप्त की विधियों से कुछ उन्नति दिखाई पड़ती है।
- ' कुट्टक की विधि' में भी आर्यभट्ट प्रथम, भास्कर प्रथम तथा बह्मगुप्त की विधियों से कुछ उन्नति दिखाई पड़ती है।
- आर्यभट्ट प्रथम के समय से लगभग ईसा पश्चात् 150 तक के समय में विभिन्न गणितज्ञों ने संख्या के सिद्धान्त (
- आर्यभट्ट प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने कहा कि पृथ्वी गोल है और वह अपनी धुरी परघूमती है जिससे दिन और रात उत्पन्न होते है.
- इस अन्धकारपूर्ण समय के व्यतीत हो जाने के आर्यभट्ट प्रथम ने भारत के प्राचीन गणित को पुनः एक नई दिशा देने का कार्य किया।
- इस अन्धकारपूर्ण समय के व्यतीत हो जाने के आर्यभट्ट प्रथम ने भारत के प्राचीन गणित को पुनः एक नई दिशा देने का कार्य किया।
- ये लोग प्राचीन ज्योतिषी आर्यभट्ट प्रथम के ‘ आर्यभट्टीय ' ग्रंथ का उल्लेख तक नहीं करते, जिसमें ग्रहणों की सटीक व्याख्या की गई है।
- भारतीय पंचांग के पांच तत्व इस प्रकार हैं-1. वार: सूर्य सिद्धांत के अनुसार दिन का प्रारंभ अर्धरात्रि से माना जाता है, जबकि विष्णुधर्मोत्तर पुराण, आर्यभट्ट प्रथम, ब्रह्मगुप्त तथा भास्कराचार्य सूर्योदय से दिन का प्रारम्भ मानते हैं।
- अधिकांश भारतीय विज्ञानवेत्ता इस तथ्य को अब स्वीकार करते हैं कि शून्य की उत्पत्ति भारतीय ऋषि गृप्समद की उर्वर मेधा का परिणाम है तथा सूर्य चन्द्रमा का एवं पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमने के सिद्धान्त को भारतीय ऋषि एवं वैज्ञानिक आर्यभट्ट प्रथम ने ईसा की पांचवी सदी में अपनी आयु के 23 वें वर्ष में ही, यूरोपीय वैज्ञानिक कोर्पनिक्स, से करीब हजार वर्षों पूर्व सिद्ध कर दिया था।
- अधिकांश भारतीय विज्ञानवेत्ता इस तथ्य को अब स्वीकार करते हैं कि शून्य की उत्पत्ति भारतीय ऋषि गृप्समद की उर्वर मेधा का परिणाम है तथा सूर्य चन्द्रमा का एवं पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमने के सिद्धान्त को भारतीय ऋषि एवं वैज्ञानिक आर्यभट्ट प्रथम ने ईसा की पांचवी सदी में अपनी आयु के 23 वें वर्ष में ही, यूरोपीय वैज्ञानिक कोर्पनिक्स, से करीब हजार वर्षों पूर्व सिद्ध कर दिया था।
- आर्यभट्ट प्रथम के समय से लगभग ईसा पश्चात् 150 तक के समय में विभिन्न गणितज्ञों ने संख्या के सिद्धान्त (theory of numbers), अंकगणित कार्यप्रणाली (arithmetical operations) ज्यामिति (geometry), भिन्न कार्यप्रणाली (operations with fractions), सामान्य समीकरण (simple equations), क्यूबिक समीकरण (cubic equations), क्वार्टिक समीकरण (quartic equations), क्रमचय और संचय (permutations and combinations) जैसे गणित के विभिन्न विषयों में उल्लेखनीय कार्य किया।
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